दुनिया के मौसम के लिए अच्छी खबर. जुलाई के दूसरे जपते में लानीना सक्रिय होगा. मौसम का मिजाज बदल जाएगा. सभी क्षेत्रों में वातावरण अनुकूल रहेगा. ओडिशा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. मौसम और अपना संतुलन न खोएं. मानसूनी बारिश और सर्दी व सूखे का असर भी सामान्य रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञानी जेसन निकोल्स ने यह अनुमान लगाया है. पिछले साल अल नीनो का असर था. मौसम बदल गया था.
भारत को 2023 से पहले पिछले तीन साल लानीना का लाभ पाया. एलनीनो हर 2-7 साल में होता है, लानीना कम बार आता है.
हम आज आपको सूचना देंगे क्या है ए सब अवस्था..
साधारण स्थिति
प्रशांत महासागर मै जो ब्यापारिक हवा है ओ पूर्व से पश्चिम तक बेहती रहती है. जैसे-जैसे पेरू ठंडी होता जाता है, वहां गुरुचाप पैदा होती है. दबाव अधिक रहता है. ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिम प्रांत की बाकी जगहों पर कम दबाव के कारण बारिश हो रही है.
एलनीनो स्थितियाँ
एलनीनो मै ब्यापरिक हवा कमजोर रेहता है. पश्चिम से पूर्व की ओर चलती है. पेरू पूर्वी प्रशांत महासागर को गर्म करता है, निम्न दबाव बढ़ता है, बारिश के बजे से बाढ़ आती है दक्षिण अमेरिका में. लेकिन प्रशांत महासागर की पश्चिम भाग ऑस्ट्रेलिया में अलनीनो वर्ष शुष्क रहता है. भारत भी प्रभावित होता है और एशिया भी. भारत शुष्क हो जाता है. जंगल में आग लग जाती है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून प्रभावित होता है.
लानीना स्थितियाँ
व्यापारिक हवा अधिक सक्रीय होने के बजे से पूर्व से पश्चिम तक हवा बेहता है.
लघुचाप प्रभावित करता है आस्ट्रेलिया एशिया क्षेत्र को. बारिश यह कृषि के लिए अच्छा होताहै. लेकिन दक्षिण अमेरिका में शुष्क स्थिति पैदा करता है.
भारत में कृषि पर एलनीनो का प्रभाव
रूखापन बढ़ जाता है
ऐसा पहले भी अल नीनो वर्षों में हो चुका है
ख़रीफ़ की फसलें प्रभावित होती हैं. मानसून देर से आया है उत्पादन घटता है.